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जानकारीPolitics

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन

Manish kumar
Last updated: December 30, 2024 4:53 pm
Manish kumar
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7 Min Read
मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह
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26 दिसंबर 2024 को भारत ने अपने पूर्व प्रधानमंत्री और महान अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह को खो दिया। 92 साल की उम्र में उनके निधन ने देश और दुनिया में शोक की लहर पैदा कर दी। डॉ. सिंह का जीवन भारतीय राजनीति और आर्थिक सुधारों का एक महत्वपूर्ण अध्याय रहा है। उनकी सादगी, ईमानदारी और ज्ञान का देश हमेशा ऋणी रहेगा।

Contents
प्रारंभिक जीवन और शिक्षाअर्थशास्त्री के रूप में करियर1991 के आर्थिक सुधारप्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल (2004-2014)प्रमुख उपलब्धियांअंतिम समय और निधनराष्ट्रीय शोक और अंतिम संस्कारडॉ. सिंह की विरासतनिष्कर्ष
डॉ. मनमोहन सिंह
                                                                             डॉ. मनमोहन सिंह

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब के गाह गांव (अब पाकिस्तान में) में हुआ। विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आ गया। कठिन परिस्थितियों के बावजूद, उन्होंने अपनी शिक्षा में उत्कृष्टता हासिल की। डॉ. सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डिग्री प्राप्त की। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि भी हासिल की। उनकी शिक्षा और ज्ञान ने उन्हें दुनिया के सबसे प्रख्यात अर्थशास्त्रियों में से एक बना दिया।

अर्थशास्त्री के रूप में करियर

डॉ. सिंह ने अपने करियर की शुरुआत एक अर्थशास्त्री के रूप में की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, भारतीय रिजर्व बैंक, और योजना आयोग जैसे संस्थानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके पास अर्थव्यवस्था को समझने और उसे सही दिशा देने की अद्वितीय क्षमता थी। 1991 में, जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था, उन्हें वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। उस समय देश लगभग दिवालिया होने की कगार पर था। डॉ. सिंह ने अपने नेतृत्व और साहसिक निर्णयों से देश को आर्थिक संकट से बाहर निकाला।

1991 के आर्थिक सुधार

1991 में, डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार किए। उनके सुधारों ने भारत को आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया।

  1. लाइसेंस राज का अंत: उन्होंने व्यापार और उद्योग के लिए जटिल प्रक्रियाओं को सरल बनाया।
  2. विदेशी निवेश: उन्होंने विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया, जिससे भारत में आर्थिक गतिविधियां बढ़ीं।
  3. उदारीकरण: भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों के लिए खोला गया, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हुए।

इन सुधारों ने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर किया बल्कि भारत को एक वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभारा।

प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल (2004-2014)

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी। वह इस पद पर पहुंचने वाले पहले सिख नेता थे। उनका कार्यकाल भारत के विकास और चुनौतियों का मिश्रण रहा।

प्रमुख उपलब्धियां

  1. आर्थिक विकास: उनके कार्यकाल में भारत ने तेज GDP वृद्धि दर देखी। उन्होंने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में विकास को प्राथमिकता दी।
  2. मनरेगा योजना: उनके नेतृत्व में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (NREGA) शुरू की गई, जिसने ग्रामीण भारत में लाखों लोगों को रोजगार दिया।
  3. परमाणु समझौता: उन्होंने भारत-अमेरिका परमाणु समझौता किया, जिससे भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत हुई।
  4. शिक्षा और स्वास्थ्य: उनके कार्यकाल में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई नई योजनाएं शुरू की गईं।
डॉ. मनमोहन सिंह
                                                      डॉ. मनमोहन सिंह 

अंतिम समय और निधन

डॉ. सिंह की सेहत पिछले कुछ वर्षों से खराब चल रही थी। उन्हें हृदय संबंधी और वृद्धावस्था से जुड़ी समस्याएं थीं। 26 दिसंबर 2024 को, वह अपने नई दिल्ली स्थित घर पर अचानक बेहोश हो गए। उन्हें तुरंत एम्स (AIIMS) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं ने उनकी मौत को देश के लिए अपूरणीय क्षति बताया।

राष्ट्रीय शोक और अंतिम संस्कार

उनके सम्मान में भारत सरकार ने सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया। 28 दिसंबर 2024 को दिल्ली के निगमबोध घाट पर उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस अवसर पर हजारों लोग, राजनीतिक नेता और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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3. ओम प्रकाश चौटाला की निधन से हरियाणा में शोक की लहर

डॉ. सिंह की विरासत

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने दिखाया कि ज्ञान, ईमानदारी और मेहनत से किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है।

  • आर्थिक सुधार: उनके सुधारों ने भारत को वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाया।
  • राजनीतिक स्थिरता: उन्होंने राजनीतिक अस्थिरता के दौर में भी देश को एकजुट रखा।
  • नैतिक नेतृत्व: उन्होंने हमेशा नैतिकता और सादगी को महत्व दिया।

डॉ. सिंह अपने पीछे अपनी पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियों को छोड़ गए हैं। उनका जीवन और योगदान भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था का सुनहरा अध्याय है।

निष्कर्ष

डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारत के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने अपने जीवन में जो योगदान दिया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। भारत ने एक ऐसा नेता खो दिया है, जिसने न केवल देश को आर्थिक रूप से मजबूत किया, बल्कि नैतिकता और ईमानदारी का उदाहरण भी पेश किया। डॉ. सिंह हमेशा भारतीय जनता के दिलों में एक सच्चे नेता के रूप में जिंदा रहेंगे। उनके काम और विचार हमें देश के विकास के लिए मेहनत करने की प्रेरणा देते रहेंगे।

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