चुनाव से पहले केजरीवाल का एक और बड़ा एलान: पुजारियों और ग्रंथियों को हर माह मिलेगी इतनी सैलरी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आगामी चुनाव से पहले एक और बड़ा एलान किया है, जो धार्मिक समुदाय से जुड़े लोगों के बीच गूंज उठा है। उन्होंने घोषणा की है कि दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को अब हर महीने एक तय सैलरी मिलेगी। यह कदम दिल्ली सरकार की ओर से धार्मिक स्थलों के महत्व को मान्यता देने और धार्मिक सेवाओं में लगे व्यक्तियों की स्थिति को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
केजरीवाल का बयान
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “दिल्ली सरकार ने फैसला किया है कि अब दिल्ली में मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने एक निश्चित वेतन दिया जाएगा। हम चाहते हैं कि वे न केवल अपनी धार्मिक सेवाओं पर ध्यान दें, बल्कि उनके जीवनस्तर को भी बेहतर बनाया जाए।”
इस घोषणा के बाद दिल्ली सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह योजना दिल्ली में हर धार्मिक समुदाय के लोगों के लिए लागू होगी, जिसमें हिंदू मंदिरों के पुजारी, सिख गुरुद्वारों के ग्रंथी और अन्य धार्मिक स्थलों के धार्मिक अधिकारी शामिल हैं।
सैलरी कितनी होगी?
केजरीवाल ने सैलरी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि प्रत्येक पुजारी और ग्रंथी को ₹10,000 से ₹30,000 तक की सैलरी मिलेगी, जो उनके काम और धार्मिक स्थान के आकार पर निर्भर करेगी। दिल्ली सरकार का उद्देश्य है कि धार्मिक स्थानों पर काम करने वालों को एक स्थिर और सम्मानजनक आय मिले, जिससे उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार हो सके। इसके साथ ही, इस कदम का मकसद धार्मिक स्थलों की सफाई, व्यवस्था और अन्य संबंधित कार्यों के लिए लोगों को प्रेरित करना भी है।
योजना का उद्देश्य
इस योजना के पीछे केजरीवाल सरकार का मुख्य उद्देश्य धार्मिक स्थलों पर काम करने वालों की स्थिति को सुधारना है। कई बार देखा गया है कि पुजारी और ग्रंथी जैसे लोग कम वेतन या बिना वेतन के काम करते हैं, जबकि वे समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, यह पहल दिल्ली में धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण और सुधार के लिए भी एक बड़ा कदम हो सकता है।
केजरीवाल ने आगे कहा, “हमारा उद्देश्य समाज के हर वर्ग को समान अवसर और सम्मान प्रदान करना है, और यह पहल उसी दिशा में एक कदम है। हमें विश्वास है कि इस योजना से पुजारियों और ग्रंथियों की स्थिति में सुधार होगा, और वे अपनी सेवा को और भी समर्पण के साथ कर सकेंगे।”
राजनीति और चुनावी रणनीति
इस एलान को दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आगामी विधानसभा चुनावों में दिल्ली सरकार ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब धार्मिक मुद्दों और समुदायों के बीच समर्थन जुटाना एक अहम रणनीति बन सकता है। केजरीवाल सरकार ने पहले भी कई बार धार्मिक मामलों में अपनी नीतियों को पेश किया है, और इस कदम से वे धार्मिक समुदायों के बीच अपनी पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
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विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष ने इस एलान पर आलोचना करते हुए इसे चुनावी पैंतरा करार दिया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अन्य विरोधी दलों ने कहा है कि यह केवल चुनावी लाभ लेने के लिए किया गया है, और इसका असल उद्देश्य दिल्ली के धार्मिक समुदायों के कल्याण से ज्यादा वोट बैंक को साधना है। हालांकि, केजरीवाल सरकार ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा है कि यह एक समाजिक न्याय की पहल है और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।
निष्कर्ष
अरविंद केजरीवाल का यह एलान दिल्ली के धार्मिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यह पहल पुजारियों और ग्रंथियों को एक सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान करेगी, साथ ही उनके कार्यों की महत्ता को भी समाज में प्रोत्साहित करेगी। हालांकि, चुनावी दृष्टि से इसके राजनीतिक उद्देश्य को लेकर चर्चाएं बनी रहेंगी, लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि दिल्ली सरकार धार्मिक स्थलों की भलाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने की कोशिश कर रही है।